तो आज का पोस्ट है कि डोमेन नाम क्या होता है।
वैसे अगर आप खुद का ब्लॉग शुरु करना चाहते है, तो इसके लिए फ्री रिसोर्स Medium, Blogspot का इस्तेमाल कर सकते है।
पर एक प्रोफेशनल ब्लॉग के लिए खुद का सेपरेट Domain Name होना जरूरी है।
तो आज का इस पोस्ट के जरिए आप जान पाएंगे कि डोमेन क्या होता है? यह कैसे काम करता है और एक अच्छा डोमेन नेम कैसे चुने।
Table of Contents
डोमेन क्या है
एक डोमेन नाम यूनिक और परमानेंट इन्टरनेट एड्रेस है, जिसका इस्तेमाल किसी वेबसाइट या ऑनलाइन कंटेंट को एक्सेस करने के लिए इस्तेमाल होता है।
जैसे-
ब्लूहोस्ट के अनुसार
A domain name is an online address that offers a user-friendly way to access a website.
तो डोमेन एक तरह से ब्रिज के तरह काम करता है, इंटरनेट में फ़ाइलों (डेटा, कन्टेंट) को एक लोकेशन (यूजर) से दूसरे लोकेशन (सर्वर) तक पहुँचाने का।
जब हमें किसी वेबसाईट या ब्लॉग को देखना होता है, तो सिंपली उसका एक्सेसएबल एड्रेस वेब ब्राउज़र (क्रोम, फायरफॉक्स) के एड्रेस बार पर डाल कर सर्च करते है।
जैसे https://richblog.in

इसके बाद उसका पेज आपके कंप्यूटर स्क्रीन में दिखने लगता है।
यहाँ पर आप देख सकते है कि प्रोटोकॉल https:// नहीं दिख रहा है, बस richblog.in ही दिखाई दे रहा है।
वह इसलिए क्योंकि सर्चिंग के बाद बाकी प्रोटोकॉल शो नहीं करता है, लेकिन यूआरएल कॉपी या एडिट करने में दिखाई देता है।

तो सबसे पहले हम डोमेन के स्ट्रक्चर को समझने का प्रयास करते है।
#1 Step
तो यहां https:// एक प्रोटोकॉल है, जिसका पूरा नाम (हाइपर्टेक्सट ट्रांसफ़र प्रोटोकॉल सिक्योर) है। यह प्रोटोकॉल डेटा के फ्लो को कंट्रोल करता है, ताकि इंफॉर्मेशन सही जगह डिलीवर हो सके।
#2 Step
यहां www भी एक प्रोटोकॉल है, जिसका पूरा नाम (वर्ल्ड वाइड वेब) है, जो बहुत से फ़ाइलों को कनेक्ट करने में मदद करता है।
जहाँ तक बात है non-www और www का, तो वह यूजर के लिए एक समान है, पर इंटरनेट पर यह अलग-अलग है।
जैसे www.example.com और example.com दोनों वेब मास्टर (गूगल, बिंग) के लिए अलग-अलग है। इसलिए आपको पहले वेब मास्टर को कहना होता है कि आप कौन-सा यूआरएल इस्तेमाल कर रहे है।
ऐसा करने से यूजर कोई भी यूआरएल का इस्तेमाल करके पेज खोलता है, तो उसका फायदा एक ही डिफाइन किए गए साइट को मिलता है।
#3 Example
यह सेकंड लेवल का डोमेन है, जो एक्चुअल डोमेन नेम है। जब भी आपको कोई डोमेन किसी साइट (GoDaddy, Hostinger) से खरीदना चाहता है, तो डोमेन सर्च पेज में आपको सेकंड लेवल का डोमेन का नाम ही टाइप करना होता है।
#4 .com
इसे 1st लेवल का डोमेन या टॉप लेवल डोमेन (TLD) कहते है। टीएलडी किसी साइट के सबसे लास्ट में होता है, जिसे .[डॉट] से सेपरेट किया जाता है।
हालांकि टीएलडी के कई टाइप भी है। जैसे- [.org, .in] इत्यादि।
अलग अलग TLd का इस्तेमाल साइट को पहचाने के लिए भी होता है। जैसे .org से यह पता चलता है कि संबंधित साइट अलाभकरी संस्था या व्यक्ति का है। जैसे – who.org पर .com किसी कमर्शियल संस्था या व्यक्ति का हो सकता है। जैसे – amazon.com
इसलिए वेबसाइट का TLD हमेशा अपने काम के अनुरूप चुने। जैसे अगर आप खुद का ई कॉमर्स साइट या ब्लॉग शुरू करने जा रहे है, तो . कॉम वाले एक्सटेंशन को ही चुने।
तो यहां आपने एक साइट के सभी पार्ट को समझ लिया है। इन पार्ट को लेबल कहते है जो [.] से सेपरेट होता है। हर लेबल को मैक्सिमम 63 करेक्टर्स तक लिखा जा सकता है और पूरा डोमेन को 253 करैक्टर्स तक।
डोमैन नेम क्यों जरूरी है?
चलिए एक बेहतरीन उदाहरण लेते है। मान लिया जाए आपके पास एक सिस्टम (लैपटॉप या डेस्कटॉप) है और कहीं दूर एक सर्वर में कोई इंफॉर्मेशन सुरक्षित है।
तो आप चाहते है कि उस इंफॉर्मेशन को देखना, तो तो इसके लिए आपको एक रिसोर्स या कनेक्टर की जरूरत पड़ेगा, जो डोमेन नाम से संभव है।
तो एक डोमेन नेम आपके सिस्टम को उस सर्वर से जोड़ा देगा और डाटा फ्लो शुरू हो जाएगा।
हालांकि यह काम आप एंड्रॉयड एप या आईओएस एप से भी कर सकते है, पर यह आप किसी Jio Phone में काम नहीं करेगा, पर डोमेन इस फोन में भी काम करेगा।
दरअसल वेबसाइट को एक्सेस करना जितना ईज़ी लगता है, उतना है नहीं।
एक साइट को एक्सेस करने के लिए आपको Nameserver और DNS (Domain Name System) का जरूरत होता है। आप जिस साइट से भी अपना डोमेन खरीदते है, वह आप खुद का नेम सर्वर प्रोवाइड कराता है।

यह कम से कम दो होता है। यहां पर आप दो नेम सर्वर: ns1.dns-parking.com और ns2.dns-parking.com है। इस रिकॉर्ड को ही डीएनएस रिकॉर्ड कहते है। इसी रिकॉर्ड से आपके साइट का पहचान होता है।
नोट: DNS एक तरह से फोन बुक लिस्ट होता है, जिसमे सभी साइट का DNs Record होता है।
अब चलते है कि कोई डोमेन कैसे काम करता है:
#1 सबसे पहले आप अपने ब्राउज़र के सर्च बार में richblog.tech टाइप करके हिट सर्च करते है।
#2 उसके बाद यह रिक्वेस्ट आपके नेम सर्वर के पास जाता है। नेम सर्वर के पास जब यह रिक्वेस्ट पहुंचता है, तब यह इस डोमेन का डीएनएस रिकॉर्ड चेक करता है और इसी रिकॉर्ड से डोमेन को इसके आईपी एड्रेस में चेंज कर देते है। जैसे: 46.17.175.40 (यह गूगल का आईपी है)
#3 इसके बाद वापस यह रिक्वेस्ट ब्राउज़र के पास जाता है और अब ब्राउज़र इसी कन्वर्टेड आईपी एड्रेस को सर्वर के पास रिक्वेस्ट भेजता है।
#4 वालिडेशन के बाद वह वेबसाइट आपके ब्राउज़र में खुल जाता है।
लेकिन यहां पर एक गौर करने वाली बात यह है कि गूगल जैसे साइट को डायरेक्ट इसके आईपी एड्रेस (46.17.175.40) से एक्सेस किया जा सकता है, पर दूसरे साइट साइट को नहीं।
शायद ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गूगल खुद का ही डोमेन और सर्वर इस्तेमाल करता है।
तो यहां तक तो आप समझ ही गए होंगे कि डोमेन क्या होता है और यह कैसे काम करता है।
अब आते है डोमेन कैसा खरीदना करना चाहिए।
ईज़ी टू रिमेंबर
डोमेन का नाम ऐसा होना चाहिए कि आसानी से याद किया जा सके। इसमें ऐसे शब्दों का कॉम्बिनेशन नहीं इस्तेमाल करे कि याद करने में किसी भी यूजर का पसीना छूट जाए।
जैसे FaceBook, Google तो सही है, पर searchengineroundable को याद करना मुश्किल भरा काम है।
- लंबे का बजाए, छोटे डोमेन को आसान है और इसे और इसे लंबे समय तक याद किया जा सकता है।
- सर्च के दौरान स्पेलिंग मिस्टेक कम होता है।
- छोटा डोमेन देखने में अट्रैक्टिव लगता है, पर बड़ा डोमेन देखने में बोरिंग।
- बढ़े के बजाए छोटे डोमेन को कम समय में टाइप कर सकते है।
सामान्यत: कंटेंट सोशल मीडिया में शेयर करते समय यह मायने नहीं रखता है कि डोमेन बड़ा है या छोटा।
यूज कीवर्ड
वैसे डोमेन में कीवर्ड का इस्तेमाल करना बहुत अच्छा सुझाव है, क्योंकि जनरली डोमेन का ही पेज रैंक सबसे ज्यादा होता है, किसी और पेज के तुलना में।
यही वजह है कि इससे आपके साइट का ऑथोरिटी तेजी से इंप्रूव होगा।
लेकिन यहां पर एक और बात ध्यान देने वाली ही कीवर्ड हमेशा आपके टॉपिक रिलेटेड ही होना चाहिए।
जैसे अगर आप रेसिपी पर ब्लॉग लिखना चाह रहे है, तो investment.com यूजर को भ्रमित कर सकता है, क्योंकि पहली नजर में यह फेक साइट दिखाई देगा।
अवॉइड हाइपन
बहुत से ब्लॉगर अक्सर (-) वाले डोमेन खरीद लेते है। ऐसा अक्सर सही डोमेन ना मिलने के वजह से करते है।
जैसे: finance-investment
इसमें हाइपन (-) टाइप करते समय छूट जाने का डर बना रहता है और यूजर सर्च बार में financeinvestment टाइप करके साइट खोजने लगता है।
यूज वेलिड एक्सटेंशन
हमेशा डोमेन रजिस्टर करते समय वेलिड एक्सटेंशन का ही चयन करे। जैसे अगर आप इंडिया से है, तो finance.in को ही प्रिफर करे, इससे आपको Local Seo का भी फायदा होगा।
पर .uk या .usa से सर्च इंजन को लगेगा कि आपका साइट इन देशों में है।
फास्ट खरीदे
आजकल लाखो डोमेन नेम हर दिन रजिस्टर हो रहे है, इसलिए अगर आपने कोई डोमेन खोज लिया है, तो उसे जल्दी से खरीद ले, नहीं तो आपसे पहले कोई खरीद लेगा।
लेकिन अगर डोमेन खरीदने जा रहे है, तो डोमेन रजिस्ट्रार साइट में जाकर इसका प्राइस चेक करे ले।
जैसे अभी (03-01-2021) में [.कॉम] एक्सटेंशन वाला डोमेन GoDaddy में ₹199 मिल रहा है, पर इसी एक्सटेंशन वाला डोमेन Hostgator में ₹779 में मिल रहा है।
हालांकि इसमें कुछ कंडीशन भी है, जो इसके साइट को विजिट करके देख सकते है।
इसके अलावा डोमेन रिन्यूएबल चार्ज भी देख ले, ऐसा न हो कि पहले साल के लिए बस आपको ₹100 में मिल रहे हो, पर इसे अगले साल के लिए रिन्यूएबल करने पर $2000 देना पड़े।
यूज डोमेन जेनरेटर
अगर आप इसे खरीदते समय आश्वत नहीं हो पा रहे है कि आखिर कौन सा खरीदे, तो इसके लिए डोमेन जेनरेटर का भी इस्तेमाल कर सकते है।
जैसे अगर Nameboy साइट को विजिट करते है

यहां पर सर्च बॉक्स के अंदर आप कोई टर्म (कीवर्ड, वर्ड) डाल करके, सबमिट करने पर

इस तरह का लिस्ट दिखायेगा। इसे मैंने blogging वर्ड को टाइप करके सर्च करने पर शो कर रहा है।
Conclusions
डोमेन के बारे में और भी जानकारी है, पर आज के लिए इतना ही, पर आगे भी इस पोस्ट को अपडेट किया जाता रहेगा।
आपको पता होना चाहिए सबसे पहला डोमेन symbolics.com था, जिसे 15 मार्च, 1985 को रजिस्टर किया गया था। इसके अलावा आप 100 oldest डोमेन को भी देख सकते है।
डोमेन नेम के लिए ICANN जैसा मुक्त संस्था रिस्पॉन्सिबल है। यही संस्था सभी प्रकार के डोमेन को मैनेज करने का काम करती है।
तो अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया है, तो हमे कॉमेंट करके जरुर बताए और हो सके तो इसे सोशल साइट फेसबुक, इंस्टाग्राम में भी जरुर शेयर करे।
अब अंत में इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

मुझे हमेशा से लिखना और पढ़ना पसंद है और इसी वजह से इस ब्लॉग को बनाया है। यहाँ पर मैं ब्लॉगिंग और मनी मेकिंग जैसे टॉपिक पर लगातार बेहतरीन पोस्ट लिखता हूं।